MAHA MANTRA

Namo Arihantanam णमो अरिहंताणं

Namo Siddhanam णमो सिद्धाणं

Namo Ayariyanam णमो अयारियाणं

Namo Uvajjhayanam णमो उवज्झायाणं

Namo Loye Savva Sahunam णमो लोए सव्व सहुणं

Eso Panch Namoukaro एसो पञ्च णमोक्कारो

SAVVA PAVAPPANASANO सव्व पवाप्पणसण

Mangalanam Cha Savvesim मंगलाणं च सव्वेसिं

Padhamam Havai Mangalam पढमं हवाई मंगलम


Tuesday, April 18, 2017

Name and Symbols of Tirthankars (तीर्थंकर)

1. श्री ऋषभनाथ- बैल, 
2. श्री अजितनाथ- हाथी, 
3. श्री संभवनाथ- अश्व (घोड़ा),

4. श्री अभिनंदननाथ- - बंदर, 
5. श्री सुमतिनाथ- चकवा, 
6. श्री पद्मप्रभ- कमल, 
7. श्री सुपार्श्वनाथ- साखिया (स्वस्तिक), 
8- . श्री चन्द्रप्रभ- - चन्द्रमा, 
9. श्री पुष्पदंत- मगर, 
10. श्री शीतलनाथ- कल्पवृक्ष, -
11. श्री श्रेयांसनाथ- गैंडा, 
12. श्री वासुपूज्य- भैंसा, 
13. श्री विमलनाथ- शूकर, 
14. श्री अनंतनाथ- सेही, 
15. श्री धर्मनाथ- वज्रदंड, 
16. श्री शांतिनाथ- मृग (हिरण), 
17. श्री कुंथुनाथ- बकरा, 
18. श्री अरहनाथ- मछली, 
19. श्री मल्लिनाथ- कलश, 
20. श्री मुनिस्रुव्- रतनाथ- कच्छप (कछुआ) , 
21. श्री नमिनाथ- नीलकमल, 
22. श्री नेमिनाथ- शंख, 
23. श्री पार्श्वनाथ- - सर्प 
24. श्री महावीर- सिंह।

Wednesday, April 12, 2017

panch vart

                                                                       पंचवर्त 
                       1 अहिंसा 
             (जियो  और जीने दो )
क्या तू चाहे तेरी हिंसा ?बोल अरे मानव मुंह खोल,
हिंसा करने हेतु खड़ा है,तेरी तू हिंसा को तोल।
मरना नहीं चाहता तू तो ,मरने की इच्छा किसको,
जिओ और जिनो दो सबको, यही अहिंसा मंत्र अमोल।


                          2  सत्य
                (झूठ बोलना महापाप है )
झूठ बोलना महापाप है,दिल में सबके यही जंचा है।
सोच बोल कर झूठ कमाया ,संचित धन भी व्यर्थ गंवाया।
फिर भी झूठ बोलता रहा,कैसा मन तूने पाया।
जिसको अग्नि समझ रहा,उसको छूने से नहीं बचा।



                     3   अस्तेय
                    (चोर कौन है )
लाचारी से चोरी करते , कहता उनको चोर समाज।
खुले आम जो चोरी करते , चतुर कहाते है वे आज।
शरीफ वेश में रिश्वत लेते ,करते काला बाजारी।
यही चोर थे भ्र्ष्टाचारी,वेश बचाता इनकी लाज।



                          4  ब्रहमचर्य
                    (कैसे हरे पराई पीर )
कहा गया प्रताप हमारा ,कहा गया भीम वीर।
महिमा भूले ब्रहमचर्य की, याद रही बर्फी और खीर।
बल बुद्धि कमजोर बनी,कलह देष और क्रोध बढ़ा।
खुद की पीर नहीं हर सकते , कैसे हरे परायी पीर।



                            5  अपरिग्रह
                          (ममता में मन )

नव लख कोटि भरी तिजोरी ,नहीं दान का नाम लिया।
भूले अगला जन्म पुत्र ,नाती पोतो से प्यार किया।
नहीं समझे यह नाशवान है,पोते नाती बेटे धन।
कैसी होगी गति तुम्हारी,फंसा हुआ ममता में मन।




Tuesday, April 11, 2017

भगवान महावीर स्वामी Bhagwan Mahaveer Swami

पीता का नाम :-राजा सिद्धार्थ
Father's Name:- King Siddharth
माता का नाम :-रानी त्रिशला
Mother's Name:- Queen Trishala
पत्नी का नाम :- यशोदा
Wife's Name:- Yashoda
पुत्री का नाम :- प्रियदर्शना
Daughter's Name:- Priyadarshana


Thursday, December 25, 2014

jain aarti mangal divo

दीवो रे दीवो , प्रभु मांगलिक दीवो 
आरती उतारण  बहुचिरजीवो 

सोहमणो घर पर्व दीवाली 
अमर खेले आम्रपाली 

देपाण  भणऐ ऐने कुल अज्वाली 
भावे भक्ते विघन  निवारी 

देपाल भेणऐ ऐने  कलिकाल 
आरती  उतारी राजा कुमारपाल 

हम घर मांगलिक  घर मांगलिक 
मांगलिक चतुर्विध संघ न हो जो   

Monday, August 19, 2013

RAKSHA BANDHAN

रक्षा से जुड़ा रक्षाबंधन पर्व जैन धर्मावलम्बियों का एक प्रमुख पर्व है. जैन धर्म के अनुयायी इस पर्व को अत्यंत आस्था और उत्साह के साथ मनाते हैं. इस पर्व के दिन जैन धर्मावलम्बी जिन मंदिरों में जाकर मुनि विष्णु कुमार तथा सात सौ मुनियों की पूजा करके उनका पाठ करते हैं !

SAVE TREE - SAVE EARTH
SAVE GIRL - SAVE HUMANITY
 

Monday, January 21, 2013

Mahamantra navkar

                       Namo Arihantanam
णमो अरिहंताणं
Namo Siddhanam
णमो सिद्धाणं
Namo Ayariyanam
णमो अयारियाणं
             Namo Uvajjhayanam
                  णमो उवज्झायाणं
             Namo Loye Savva Sahunam
                  णमो लोए सव्व सहुणं
      Eso Panch Namoyaro
एसो पञ्च णमोक्कारो
      Savva Pavappanasano
                    सव्व पवाप्पणसण
              Mangalanam Cha Savvesim
                     मंगलाणं च सव्वेसिं
               Padhamam Havai Mangalam
                     पढमं हवाई मंगलम

Wednesday, March 21, 2012

Mahavir Jayanti

On 5 April 2012 we are going to celebrate Mahavir Jayanti.
Mahavira was born into royalty as the son of King Siddhartha and Queen Trusgaka. During pregnancy, Trishala was believed to have had a number of auspicious dreams, all signifying the coming of a great leader. The exact number of dreams differs according to the school of Jainism; Svetambaras generally believe that the actual number is fourteen while Digambaras claim sixteen instead. Regardless, the astrologers that interpreted these dreams claimed that the child would become either an emperor or a Tirthanakr. It is said that when Trishala finally gave birth to Mahavira, the god-king indra bathed the newborn himself with celestial milk, a ritual essentially marking him as a Tirthankar.

Friday, February 3, 2012

Meaning of Mahamantra

णमो अरिहंताणं          Obeisance to Arithantas
णमो सिद्धाणं               Obeisance to Siddhas
णमो अयारियाणं         Obeisance to Acharyas
णमो उवज्झायाणं        Obeisance to Upadhyayas
णमो लोए सव्व सहुणं   Obeisance to all the Ascetics
एसो पञ्च णमोक्कारो   This five fold obeisance
सव्व पवाप्पणसण        Is the destroyer of all sins
मंगलाणं च सव्वेसिं      Of all that is auspicious
पढमं हवाई मंगलम      This is foremost


MEANING
                         I offer my obeisance to Arithantas ,the perfect embodied souls,to Siddhas , the perfect souls in Nirvana , to acaryas, the masters of adepts, the upadhyayas, the scholarly ascetics and to all the sadhus, the ascetics devoted to the contemplation of the self. This five fold obeisance is the destroyer of all sins and is foremost among all that is auspicious.


Explanation
                    jaina religion and culture occupies a unique place in Indian culture and namaskara sutra  or popularly known as the namaskara mantra , is the heart of jaina faith,religion and culture.Jainism is out and out a spiritual faith and more than a religion it is a way of life .It is not based on any dogma or blind faith.Hence this namaskara sutra too is a spiritual mantra,Jaina beliefs and practices resonate through this great mantra.For the jains,nothing is greater than this mantra.For the jains,nothing is greater than this mantra.Unlike other mantras,this mantra offers salution to worthy souls, and not to one particular deity.Instead of personal worship, personality worship is given prime importance. It is also called paramesthi pantra. All the saints who have become pure and perfect are supreme i.e paramesthis.


Tuesday, November 29, 2011

धर्म साधना में जैन साधना की विशिष्टता

जैन साधना की विशेषता : जैन साधना में किसी जाति कुल या अवस्था  विशेष की अपेक्षा नहीं है. जो भी निष्कपट और मन से पापों का परित्याग कर वीतराग भाव की और अग्रसर है वही इसका अधिकारी है.राजा से लेकर रंक और उच्च कुलीन ब्राह्मण से लेकर हरिजन तक कोई भी आबाल वृद्ध ह्रदय शुद्धी के साथ इसमे प्रविष्ट हो सकता है. जैन साधना ने छोटे दूषण को भी अपेक्षा योग्य नहीं माना उसका सिदांत है की दोष छोटा भी अग्नि कण की तरह विनाशक होता है.जैन साधना किसी अन्य देवी देव की साधना नहीं पर वह आत्मा से आत्म देव की ही साधना है उसका स्पष्ट निदेश है की दुदार्न्त आत्मा का दमन करो वश में किया हुआ आत्मा इस लोक और परलोक में सुखी होता है.
            जैन साधना की सिदी भी भगवान या किसी देवाधीन नहीं,वह अपने ही पुरुषाथ के अधीन है वहा साधना का फल शुद्ध स्वरूप की आत्मा ही है .